our body is itself a tantra
if we want to know the secret of this universe it is must to understand tantra of our body.

there is a universe within.
our body is itself a tantra,our mind is a tool.
yoga meditation  prayanam, mantra yog, yantra and tantra sadhna  are appratus for action.


           

As each of us could realize, the life means mysterious subtle energies, flows, PRANA, dynamism and movement. As long as each of us are able to move, are dynamic and fit we can say that we are living and that the mysterious subtle energy of life exists and manifests in our inner universe.
Each step that we take, each word that we say, each idea that goes through our mind, each state that we have, each gesture that we make are all the same expressions of this mysterious energy of life. Either we know it or not, either we want it or not, all these altogether and each of them in part generate within our inner universe different specific phenomena of occult resonance with certain spheres of energy in the Macrocosm. Depending on our habits and resonances, which occur within us most of the time, all these phenomena of occult resonance generate in our inner universe certain subtle energetic prevalence. This is why, they often say that habit is the second human nature. At the same time, it is necessary to realize that all these manifestations are confirmations of our human condition. But all these also relieve the so-called “death” that each of them implies. Few of us realize that all these manifestations determine us to die at every moment and come back to life at next. It is important to realize that at every moment we die and the very next moment we are born again. This process of so-called death in a moment and of revival in the next moment takes place even when we don’t realize it. This mysterious process of “death” and “rebirth” at every moment is an ineffable one. By means of this sequenced “death” – “rebirth”, we consequently know the instant.


  





 लाभप्रद शिव साधना  सावन माह में सर्व  मनोकामना पूर्ती  हेतु



साधना-धन एवम सर्व मनोकामना पूर्ति  के लिए 




सामग्री- शिवलिंग, कच्चा दूध, गंगाजल, पंचामृत-(दूध,दही, घी,शहद, शक्कर) भस्म, चन्दन, केशर, फूल, बेलपत्र, धतुरा के फल-फूल, शमीपत्र, घी का दीपक, अगरबती..... इत्यादि समग्र पूजन सामग्री पहले से ही इकत्रित कर लें ...

आसन-पीला, पीली धोती, उत्तर दिशा--- पूजन समय- सुबह या शाम |



साधक स्नानादि से निवृत्त होकर आसन पर बैठें---

प्रारम्भिक पूजन कर लीजिये.. यानी गणेशपूजन, भैरव पूजन,गुरुपूजन आदि---

सामने एक पटे पर पीला वस्त्र बिछाकर पारद शिवलिंग, स्फटिक शिवलिंग, नर्मदेश्वर या जो भी आपके पास हों उन्हें स्थापित कीजिये .

उसके बाद ध्यान करें,





येनित्यं महेशं रजतगिरीनिभं चरुचन्द्रावतंसं

रत्नाकल्पोज्ज्वालंगम परशुमृगवराभिती हस्तं प्रसन्नं |

पद्मासीनं समन्तात स्तुतिममरगणैव्याघ्रकृत्तिं वसानं

विश्वाद्दं विश्ववन्द्धं निखिल भयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रं ||

स्वच्छ स्वर्णपयोद मौक्तिकजपावर्णोंर्मुखैः पंचभि:

त्रयक्षैरंचितमीशमिन्दुमुकुटं सोमेश्वराख्यं प्रभं ||

शूलंटंक कृपाणवज्रदह्नान्-नागेन्द्रघंटाकुशान्

पाशं भीतिहरं दधानममिताकल्पोज्ज्लांगं भजे ||



इसके बाद महादेव का आवाहन करें तथा एक फूल अर्पित करें... उसके बाद शिवलिंग उठाकर किसी बड़े पात्र में स्थापित करें ताकि आप अभिषेक कर सकें |





उसके बाद शिवलिंग उठाकर किसी बड़े पात्र में स्थापित करें ताकि आप अभिषेक कर सकें |



अब ॐ नमः शिवाय का जप करते हुए गंगाजल में थोडा कच्चा दूध मिलकर १० मि तक अभिषेक करें तब तक कि शिवलिंग पूरा डूब न जाएँ, अब “ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः” मन्त्र की एक माला रुद्राक्ष माला से जप करें, तत्पश्चात शिवलिंग बाहर निकालकर किसी दुसरे पात्र में स्थापित कर पंचामृत से अभिषेक करें, तथा शुद्ध जल से धोकर पोंछकर वापिस पाटे पर स्थापित करे तथा चन्दन, अबीर, गुलाल, हल्दी, कुमकुम, अक्षत और पुष्प से पूजन सम्पन्न करें, शमीपत्र तथा

भस्म अर्पित कर अपनी मनोकामना बोलें, तथा बिल्ब्पत्र पर केशर से अनामिका ऊँगली से “राम’ लिखकर ॐ नमः शिवाय का जप कर एक-एक कर चढाते जाएँ प्रत्येक बिल्वपत्र चढाते मनोकामना भी बोलना है |



निम्न मन्त्र की ११ माला जप करें—



मन्त्र—

“ॐ ब्लौं सदाशिवाय नमः”

“Om blaum sadashivay namah”



साधना को निर्विघ्न पूर्ण होने तथा सफलता प्राप्ति की प्रार्थना करें, एवं कपूर से आरती सम्पन्न कर मन्त्र समर्पित करें |